8th September 2024

सफ़रनामा – राजुल

File source: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:A_typical_charminar_evening.jpg

गुज़रे कल को समेटे हुए वर्तमान से क़दम मिलाती ज़िंदगी हर शहर में मिल जाती है .. चाहे वो मशहूर हो या ना हो लेकिन कुछ ख़ूबियाँ हर स्थान में होती हैं .. देश के ऐसे ही मशहूर – ग़ैर मशहूर शहरों , गाँवों और क़स्बों की ख़ूबियों को संजोता है ये स्तम्भ – यात्रा संस्मरण .. इस स्तम्भ के लिए आप भी अपने  संस्मरण प्रकाशक में साझा कर सकते हैं –
   लम्बी यात्रा का अपना  कुछ अलग ही आनंद है तो कुछ मजबूरियाँ भी हैं । आनंद एकरसता टूटने का और मजबूरी कहीं ना रम  पाने की ..
    यात्रा के पहले पड़ाव हैदराबाद में इन दोनों की अनुभूति मिली ।   अतीत की गलियों से निकलकर वर्तमान के चश्मे से देखें तो दक्षिण  भारत स्थित इस आधुनिक शहर में निज़ाम  की राजधानी के अक्स  दिखाई दे जाते है  । वैसे 1591 में क़ुतुबशाही शासन के संस्थापक मोहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह ने  ये शहर बसाया था और १७वीं शताब्दी से लेकर आज़ादी मिलने तक यहाँ निज़ामों का शासन रहा । वर्तमान में टेक्नॉलोजी इण्डस्ट्रीज के विकास के साथ ये शहर इस तरह के अन्य पुराने शहरों की तुलना में कही आगे निकल चुका  है । आन्ध्र प्रदेश और २०१४ में बने तेलंगाना प्रदेश दोनों की राजधानी है हैदराबाद …जिसका एक नाम भाग्यनगर भी है । ये वो शहर है  जहाँ आप चाहे तो पारम्परिक बिरयानी की ख़ुशबू और लज्जत का मज़ा लीजिए या फिर अगर अपस्केल रेस्टोरेंट्स के लज़ीज़ व्यंजन की तलब लगे तो वो भी आसानी से मिल जाएँगे । हैदराबाद में  एक ओर ब्राण्डेड सामानों के बड़े शो रूम्स जगमगाते हैं तो दूसरी ओर मोतियों के आभूषणों की पुरानी दुकाने भी उसी शान से दमकती हैं ।
यहाँ घूमने के लिए चारमीनार , चौमहला पैलेस और  गोलकुंडा का क़िला जैसी ऐतिहासिक इमारतें हैं जिनमे मुग़लिया वास्तुशिल्प का सुंदर इस्तेमाल देखते हीबनता है ।
हुसैनसागर लेक एक विशाल झील है जिसे शासकों ने अपनी जनता की जल आपूर्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए बनाया था .. इस झील के बीच बाद में स्थापित की गई बुद्ध प्रतिमा इस जगह को और भी भव्य रूप देती है ।
यहाँ स्थितसालारजंग  म्यूज़ियम  में यादों को बड़ी ख़ूबसूरती से संजोया गया है ।
शहर का एक आकर्षण है रामोजी राव फ़िल्मसिटी जहाँ भव्य फ़िल्म सेट्स देखने का आनंद ही  कुछ और है ।
हैदराबाद को मोतियों का शहर भी कहा जाता है ..अलग अलग क्वालिटी के महँगे से महँगे और सस्ते से सस्ते , फ़ैन्सी और पारम्परिक मोतियों के ज़ेवर की बहुत सारी दुकानें मौजूद हैं ।
हैदराबाद में एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए जाने का साधन नगर बसें, ओला  , ऊबर , प्राइवेट टैक्सी और ऑटो  सभी हैं ।लेकिन सबसे सुविधाजनक और मनोरंजक होती है ऑटो की सवारी, जिसमें ऑटो चालक के रूप में एक ऐसा गाइड मिल जाता है जो घुमाते हुए आपको शहर की ख़ूबिया बताता जाता है साथ ही मोतियों के ज़ेवरों और दक्षिण भारतीय  सिल्क  साड़ियों की दुकानों समेत उन  छोटे जलपानगृहों तक भी आप पहुँच जाते हैं जहाँ ज़बरदस्त स्वाद वाले ठेठ देसी व्यंजन मिलते हैं । तयशुदा  किराए की रक़म में पूरे शहर का भ्रमण कराने वाले ऐसे ही ऑटो चालक कम गाइड हैं ये –
error: Content is protected !!