10th October 2024

 

हम बने थे साथ रहने के लिए
समय बीतता गया हम सभ्य हुए
और एक दिन हम बन बैठे पालनहार
फिर हमनें उन्हें पालना शुरू किया
फिर धीरे धीरे शुरू किया कैद करना
और फिर एक दिन हम खुद कैद हो गए । 

                                                                                                                              – मिठाई लाल 

लॉकडाउन के दौरान कुदरत की सुन्दरता का निखार  देखते ही बनता है , अन्य लोग जहाँ वाह कहकर ह्रदय की भावनायें व्यक्त करते हैं तो इन युवा चित्रकार का ब्रश और रंग इस खूबसूरती को कुछ इस तरह से व्यक्त करते हैं  , ये चित्रकार है श्री मिठाई लाल

बलरामपुर उत्तर प्रदेश में जन्मे मिठाई लाल ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बी .एफ.ए.एवम् एम.एफ.ए. की डिग्री हासिल की है तथा वर्तमान में चित्रकला विभाग दृश्य कला संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोध छात्र हैं । युवा कलाकारों में पहचाने जाने वाले मिठाई लाल की अब तक 4 एकल एवम् एक दर्जन से अधिक सामूहिक प्रदर्शनियां देश के विभिन्न नगरों की कला दीर्घाओं में आयोजित हुई हैं । उन्होंने अब तक एक दर्जन से अधिक कला कार्यशालाओं में शिरकत की है तथा उनका चयन संस्कृति मंत्रालय द्वारा चित्रकला के क्षेत्र में यंग आर्टिस्ट स्कॉलरशिप के लिये किया गया है । 2018 में भारत में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कला मेला में उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की तरफ से हिस्सेदारी की है । उनके रेखांकन एवम् चित्रों एवं आवरण चित्रों का प्रकाशन देश की जानी मानी पत्रिकाओं में होता रहता है , जिनमें नया ज्ञानोदय , इंद्रप्रस्थ भारती , गम्भीर समाचार , इला त्रिवेणी , अहा ! जिंदिगी , प्रेमचन्द पथ आदि प्रमुख हैं । वे चित्रकला व् काव्य कला के लिये काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास में राजदूत द्वारा सम्मान सहित कई सम्मानों से विभूषित हैं । मिठाई लाल कला के साथ साथ काव्य पाठ की अनूठी प्रस्तुतियों के लिये भी चर्चित हैं ।

 

 

 

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