स्वर यात्रा : गायिका मुक्ता चटर्जी
उस मीठी सी आवाज़ की कशिश और वो खास अंदाज़ ये बताता है कि सुरों की दुनिया से लगाव आज का नहीं बहुत पुराना है , ये आवाज़ मुक्ता चटर्जी की है . जिनके लिए संगीत एक ऐसी साधना है जिसे वो बचपन से ही करती आ रही हैं .
उनकी आवाज़ में घर में रहें घर में सुनें श्रंखला का १३४ वाँ गाना रिलीज़ हुआ है ” तन्हाई तन्हाई कैसी ये तन्हाई .” इससे पहले इसी श्रंखला के अंतर्गत 104वां गाना ‘ ना मैं जानूं पूजन अर्चन …’ भी रिलीज़ हो चुका है.
मुक्ता चटर्जी को संगीत की तालीम माँ से मिली , घर में सुरीले माहौल के साथ बड़े होते हुए उन्होंने गुलशन भारती, कैलाश श्रीवास्तव से संगीत सीखा . अक्सर जयपुर घराने के मशहूर गायक अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन का घर आना होता , उनसे सुरों की बारीकियां समझकर मुक्ता अपने गायन को और संवारने की कोशिश करतीं . स्कूल से कालेज तक वो लगातार कल्चरल एक्टिविटीज़ में शामिल होती और हर बार कम्पीटीशनज़ में इनाम जीतकर लातीं . वक़्त के साथ उनकी आवाज़ मंजती गई और “द हिलियंस ” नामक ग्रुप के साथ वो स्टेज शोज़ करने लगीं . उनकी आवाज़ में आशा भोसले और गीता दत्त के अंदाज़ की झलक मिलने की वजह से उनके स्टेज शोज़ बहुत हिट होते गए .
संगीत साधना के साथ कम्पीटीटिव एग्जाम पास कर मुक्ता चटर्जी ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ज्वाइन किया . 1969 -70 में अनूप जलोटा के साथ उन्होंने प्रोग्राम्स किये , 1980 में कृष्णार्पण नाम का कैसेट रिलीज़ हुआ. इसके अलावा “मुक्तिमार्ग ” नाम का भजनों का अलबम रिलीज़ हो चुका है .
म्युज़िक की दुनिया में एक लम्बा सफ़र तय करते हुए कई कीमती यादें उन्जहोंने संजोयी हैं , वो बताती हैं ” यूँ तो हर लम्हा कुछ खास रहा लेकिन आज भी नहीं भूली वो दिन , दरअसल स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने टीचर्स डे के मौके पर टीचर्स को ऑनर करना शुरू किया , जिसमे उन्होंने सरस्वती वंदना गई , उस फंक्शन के चीफ गेस्ट थे ऑनरेबल गवर्नर श्री विष्णुकांत शास्त्री . टीचर्स को ऑनर करने के बाद उन्होंने मुझे स्टेज पर बुलाया और अपने गले से शाल निकालकर मेरे गले में डालते हुए कहा , आपके गले में माँ सरस्वती का वास है . वो बहुत ओवरव्हेल्मिंग था ,फंक्शन के बाद उन्होंने फिर बंगला में कहा , आप बहुत अच्छा गाती हैं , कभी गाना मत छोड़ना . ये एक और बड़ा सरप्राइज़ था , वो बंगला में मुझसे बात कर रहे थे , उस दिन को मैं आज भी याद करती हूँ तो मेरे रौंगटे खड़े हो जाते हैं ”
इसी तरह मुंबई का एक शो उन्हें आज भी याद है जिसमे वो हीलियंस ग्रुप के साथ गेन थीं , वो बताती हैं ,” उस शो में कल्यानजी आनंदजी चीफ गेस्ट बनकर आएथे , मुझे स्टेज पर बुलाते हुए जब गाने के बोल अनाउंस किये गए तो हाल में पिन ड्रॉप साइलेंस छा गया , क्योकि मैं कल्यानजी आनंदजी का कम्पोज़ किया हुआ गाना गाने जा रही थी , उस संन्नाते में कल्यानजी की आवाज़ गूंजी ,” ज़रा इमानदारी से ” मैंने गाना गया और वापिस लौट आई , एक घंटे बाद जब शो ख़त्म हुआ तो कल्यानजी आनंदजी स्टेज पर आये , मुझे बुलाया और कहा डायरी लेकर गाना छोड़ दो और कल से स्टूडियो में आ जाओ, ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी , हालाकि मैं वापिस लखनऊ लौट आयी लेकिन वो दिन और इतने बड़े संगीतकार का आशीर्वाद आज तक याद है ”
मुक्ता चटर्जी अब बैंक की नौकरी से रिटायर हो चुकी हैं लेकिनसंगीत साधना आज भी जारी है . अपने सफ़र के बारे में मुक्ता जी कहती हैं ” शुरू से माता पिता ने प्रोत्साहित किया और शादी के बाद पति श्री देवाशीष चटर्जी ने हमेशा सहयोग दिया , तभी मैं नौकरी और संगीत दोनों निभा पाई ”
आज उनकी बेटी और नातिन भी गाती हैं ,ये देख मुक्ता चटर्जी खुश होकर कहती हैं ,” संगीत साधना की ये परंपरा अपने आगे की पीढ़ी को सौपकर बहुत अच्छा लगता है , यही प्रार्थना है कि ये संगीत यात्रा अनवरत चलती रहे .
Thanks a lot for the excellant coverage. I am speechless at the same time thanking God for the honour received at this stage of my life.Music is in me and I will never stop singing .
मुक्ता जी एक बहुत प्रसिद्ध गायिका है ।बहुत सारे stage show किये हैं ।अपनी माँ से गाना सीखने की शुरुआत की और धीरे धीरे बहुत से गुणीजन लोगों से शिक्षा ली । उसी वजह से आज भी अपनी गायिकी का जलवा बिखेर रही हैं।अभी अभी केवल जी और अशोक हमराही द्वारा “घर पर रहें ,घर से सुने” नामक सीरियल में मुक्ता जी ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी।