14th October 2024

सृष्टि माथुर : मेरी संगीत यात्रा

 

 

संगीत विरासत में मिला – सृष्टि माथुर

 

 

जब पहला शब्द  बोलना सीखा उससे भी पहले , जब पहली बार डगमगाते क़दमों से चलना आया,  उससे भी पहले उनका परिचय सुरों से हो चूका था , सुप्रसिद्ध  गायिका सृष्टि माथुर के जीवन में संगीत कुछ इसी तरह रचा बसा क्योकि सुर  तो  उन्हें गर्भ  संस्कार में ही मिल गए थे , सृष्टि माथुर बताती हैं कि  माँ प्रीती माथुर रियाज़ करती तो नन्ही  सृष्टि आसपास ही रहतीं , समय के साथ संगीत से लगाव गहराता गया , सृष्टि माथुर और उनकी बहन रियाज़ करतीं तो माँ किचन में काम करते हुए भी सुनती रहतीं और तुरंत बताती कि यहाँ कोमल स्वर ठीक नहीं लगा , या यहाँ राग बदल गया , सृष्टि माथुर कहती हैं “संगीत विरासत में मिला और उसे अच्छे से सहेजने, संजोने की शिक्षा माँ से मिली ”

बाद में  उन्होंने मधु भट्ट तैलंग और श्रुति सडोलीकर से विधिवत संगीत सीखा है , आज वो भातखंडे विश्वविद्यालय में हेड ऑफ़ द डिपार्टमेंट हैं . वो बताती हैं ,” संगीत फॅमिली में है , मेरी माँ तो ट्रेंड क्लासिकल सिंगर

हैं ही , पापा  को भी म्यूजिक में बहुत दिलचस्पी थी , मेरी बहन भी गाती है , माँ हमें सुबह 3.३० बजे रियाज़ के लिए उठा देती थीं और हम क्या गा रहे हैं इस पर उनके कान लगे रहते . पापा खुद नहीं गाते थे लेकिन जब हम तीनो ( माँ , मैं और मेरी बहन ) घर पर गाते तो पापा को बहुत अच्छा लगता , आज भी याद है जयपुर में सुराना स्मृति समारोह में बड़े बड़े कलाकार आते थे , पूरी रात प्रोग्राम चलता , और पापा हमारे साथ बहुत इंटरेस्ट से पूरा प्रोग्राम देखते . वैसे इस मामले में मैं लकी हूँ , पेरेंट्स ने हमेशा आगे बढ़ने के लिए इंस्पायर किया और शादी के बाद हसबेंड ने हमेशा सपोर्ट किया ”

संगीत के इस सफ़र में कई बार ऐसे मुकाम भी आये हैं जब आगे रास्ता नहीं दीखता ,” ऐसा ही कुछ हुआ था जब मुझे तेज़ बुखार चढ़ा था , शाम को कार्यक्रम था , कुछ समझ में नहीं आ रहा था , तब अपनी गुरुजी  ( श्रुति सडोलीकर ) को फोन करके पूरी बात बताई , उन्होंने पूछा ,”गला तो ठीक है न?” मैंने कहा “जी गला बिलकुल ठीक है ” वो बोलीं ,” पूरे मन से जाओ और गाओ , तबियत ख़राब है ये भूल जाओ क्योकि गला ठीक है और गाना गले को ही है “, सृष्टि बताती हैं ,” उस दिन उनकी ये बात गाँठ बाँध ली , प्रोग्राम में गाया और उसकी प्रशंसा भी हुई , ऐसी बातें हमेशा आगे बढ़ने को प्रेरित करती है . ” वृन्दावन में प्रतिवर्ष होने वाले स्वामी हरिदास जयंती समरोह में गा चुकी सृष्टि कहती हैं उस समारोह में गाना  मेरे जीवन की सबसे मूल्यवान स्मृति है ”

आज सृष्टि माथुर आज संगीत के क्षेत्र में एक जाना माना नाम है. घर में रहें घर में सुनें श्रंखला में उनके दो गाने रिलीज़ हो चुके हैं , सृष्टि कहती हैं ये पाजिटिव अप्रोच अच्छा लगता है एक उत्साह सा बना रहता है ”

  • राजुल

सृष्टि माथुर

 

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